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Wednesday 11 March 2015

तन्हाई


तन्हाई ,,
तन्हाई ,,
एक जुदाई ,, जो वक्त में बंधती चलि आई.. !!
तन्हाई ,,
तन्हाई.... !!

मेरी बहोत अच्शी  दोस्त है ,,
गेहरे समन्दर में बैठती ये खामोश है,,
कोन जाये अब रोज़ रोज़ मिलने इस से ,,
ये खुद ही मेरे में आ समाई,,।।

तन्हाई ,,
तन्हाई ,,
एक जुदाई ,, जो वक्त में बंधती चलि आई.. !!
तन्हाई ,,
तन्हाई.... !!

सोचता था अक्सर कोन है ये बला,,
जिसने शिव के सीने में आग लगाई,,!!


तन्हाई ,,
तन्हाई ,,
एक जुदाई ,, जो वक्त में बंधती चलि आई.. !!
तन्हाई ,,
तन्हाई.... !!

 नही कोई बेबसी ,
ये मिज़ाज़ है सिधू  का,,
ईश्क  की गरमाहट ,
जिसके साथ और भी ज़ादा आई,,!!
वो है… ..........


तन्हाई ,,
तन्हाई ,,
एक जुदाई ,, जो वक्त में बंधती चलि आई.. !!
तन्हाई ,,
तन्हाई.... !!