Pages

Friday 21 November 2014

एक गीत


                                                



एक गीत है जो अक्सर मेरी यादो से निकल,
मेरी जुबां पर आता है !
कुश पल  ज़रूर मेरे साथ बिताता  है,
मगर फिर मुझे शोड अकेला वापिस चले जाता है!
एक गीत है जो अक्सर मेरी जुबां  पर आता है !

कभी  मेरे विराग में,कभी  हास में ,
कभी  उल्लास में तोह कभी  त्रास में,
हमेशा मेरा साथ निभाता है,
पर जादा  वक़्त नही लांघा पाता  है,!
एक गीत है जो अक्सर मेरी जुबान पर आता  है !

शायद अनजान है मेरी हालत से,
हर वक़्त चलती अदालत से,
वकालत चाहे कोई भी जीते ,
पर  पैगाम हार  का सिधू  बस  तुज़े  ई क्यों  आता  है' !
एक गीत है जो अक्सर मेरी जुबान पर आता  है !

नगमा क्या सुनाउ अब  उस गीत का जो कभी  ठहरा ही नही,
बस एहसासो में मिला  मुझे,
उसका कोई चेहरा ही  नही ,
बेवक़त ही अनजान बन मेरी जान ,,मेरे पास आ बेठ  जाता है !,
एक गीत है जो अक्सर मेरी जुबां पर आता  है !


कुश पल मेरे पास ठहरता ह जरूर ,
मगर फिर मुझे शोड अकेले वापिस चले जाता है,!
एक गीत है जो अक्सर मेरी जुबां पर आता  है. !

शायद यह वही पल था  !! 

                                                                                              सिधू  साब ,, !!