मेरी जुबां पर आता है !
कुश पल ज़रूर मेरे साथ बिताता है,
मगर फिर मुझे शोड अकेला वापिस चले जाता है!
एक गीत है जो अक्सर मेरी जुबां पर आता है !
कभी मेरे विराग में,कभी हास में ,
कभी उल्लास में तोह कभी त्रास में,
हमेशा मेरा साथ निभाता है,
पर जादा वक़्त नही लांघा पाता है,!
एक गीत है जो अक्सर मेरी जुबान पर आता है !
शायद अनजान है मेरी हालत से,
हर वक़्त चलती अदालत से,
वकालत चाहे कोई भी जीते ,
पर पैगाम हार का सिधू बस तुज़े ई क्यों आता है' !
एक गीत है जो अक्सर मेरी जुबान पर आता है !
नगमा क्या सुनाउ अब उस गीत का जो कभी ठहरा ही नही,
बस एहसासो में मिला मुझे,
उसका कोई चेहरा ही नही ,
बेवक़त ही अनजान बन मेरी जान ,,मेरे पास आ बेठ जाता है !,
एक गीत है जो अक्सर मेरी जुबां पर आता है !
कुश पल मेरे पास ठहरता ह जरूर ,
मगर फिर मुझे शोड अकेले वापिस चले जाता है,!
एक गीत है जो अक्सर मेरी जुबां पर आता है. !
शायद यह वही पल था !!
सिधू साब ,, !!